युद्धमुद्रा
Saturday, January 22, 2011
माध्यम
पीठ से रेंग कर
गुजर गयी
पूरी एक पीढ़ी
बहुरंगी हवाओं का
समूचा एक काफिला ,
बैलगाड़ी के पीछे से कार
बहुत से मनचले
गुजरे ही नहीं
ऊपर से झाँक कर
तरंगे देखते रहे
अब भी खड़े हैं
पानी के बीच में
सर उठाए भग्न स्तम्भ
ऊपर को खुल गया
अधटूटा पोपला मुँह
और कुछ नहीं हुआ
एक माध्यम
ढह गया
एक पुल टूट गया !
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
About Me
युद्ध मुद्रा
View my complete profile
Followers
Blog Archive
▼
2011
(16)
►
June
(2)
►
April
(1)
►
March
(3)
►
February
(1)
▼
January
(9)
वन-निष्ठा
अनुभूत
माध्यमिक एहसास
राह
माध्यम
इसी यज्ञ-वेदी से
यज्ञ -वेदी
अनवरत
सिन्धुप्रिया _______
►
2010
(8)
►
December
(4)
►
June
(4)
No comments:
Post a Comment