वह सब कुछ जो घटा,
वह सब कुछ जो दिखा
और वह सब कुछ
जो अनुभव में आया
शब्द नहीं हुआ
मेरे शब्दकृत से
मेरा निश्शब्द -कृत था
कहीं ज्यादा बड़ा,
कहीं ज्यादा प्रवहमान ,
कहीं ज्यादा ज्वलंत -
जिसे शब्द सह नहीं सका
और जिसे
कवि होकर भी
मैं कह नहीं सका !
अनुभूत को वचन देना
साधना है,
तपस्या है,
परीक्षा है,
जो बहुत कड़ी है,
आदमी की अस्मिता,
भाषा से कहीं ज्यादा-
बड़ी है !
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