Tuesday, March 1, 2011

निर्णय



शब्दों की सारी पुरानी कब्रें
खोल दी जाएँ 
बूढ़ी ईंटों पर बैठे 
इतिहास के 
सारे पुराने अर्थों का 
आज निर्णय हो जाए 
हैसियत के मुताबिक 
जन्नत और दोज़ख 
बख्श दी जाय,

क्योंकि 
ज़िंदा सन्दर्भों को
मृत कब्रों में 
दबाया नहीं जा सकता 
और अनिर्णीत इतिहास को 
सडकों पर बहुत दिन 
घूमने नहीं दिया जा सकता !

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