यहाँ
इस अभयारण्य में ,
वन्य-जीवन
पूरा सुरक्षित है
कितनी मुक्त है
--वनता
यहाँ दूर-दूर तक ,
उछालना ,कुचलना ,दबोचना,
या कुण्डली में बाँध कर पीसना-
मारना-मरना ,
कितना सहज है
मौका लगने पर
गीदड़ों तक का यहाँ आक्रमण करना ,
सिंह का आक्रमण
यहाँ का विशिष्ट आयोजन है
सिंह जब हिरनी को दबोचता है
तब,
तभी तो लगता है
हमारे भीतर भी कहीं कोई
अभयारण्य है,
कहीं कोई जंगल दुबका है
हमारे मनों में
नहीं तो यहाँ इस तरह ,
क्यों होते हम वनों में !
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